नई दिल्ली: भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अनुमान लगाया है कि इस साल मानसून केरल में 27 मई तक पहुंच जाएगा, जो सामान्य तारीख से पहले है। दक्षिण-पश्चिम मानसून की गतिविधियां पहले ही शुरू हो चुकी हैं। इससे किसानों को फायदा होगा और कृषि चक्र को गति मिलेगी। उत्तर प्रदेश और बिहार में भी समय से पहले मानसून आने की संभावना है। मौसम में बदलाव से गर्मी में भी राहत मिल रही है। IMD के अनुसार, मई के अंतिम सप्ताह में देश में मानसून की दस्तक होने की संभावना है।
देश में मानसून का आगमन
मौसम विभाग के मुताबिक, दक्षिण-पश्चिम मानसून 13 मई को बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी भाग, अंडमान सागर के दक्षिणी भाग, निकोबार द्वीप समूह और उत्तरी अंडमान सागर के कुछ भागों में आगे बढ़ चुका है। अगले 3-4 दिनों में दक्षिण अरब सागर, मालदीव, कोमोरिन क्षेत्र, दक्षिण बंगाल की खाड़ी और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में मानसून के आगे बढ़ने के अनुकूल परिस्थितियां बनी हुई हैं।
देशभर में मानसून का शेड्यूल
केरल में 27 मई को मानसून की एंट्री होगी। 1 जून को केरल और तमिलनाडु में बारिश शुरू होगी। इसके बाद मानसूनी हवाएं कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में प्रवेश करेंगी और 5 जून तक झमाझम बारिश होगी। 10 जून तक मानसून महाराष्ट्र और तेलंगाना के मध्य तक पहुंचेगा। 12 से 15 जून के बीच ओडिशा में मानसून दस्तक देगा। 15 जून को गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और बिहार में मानसून पहुंचेगा। 20 जून को मध्य प्रदेश के ऊपरी इलाके, गुजरात के अरब सागर से सटे इलाके और उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में मानसून की एंट्री होगी।
उत्तर प्रदेश, दिल्ली और पहाड़ी राज्यों में मानसून
20 जून को पूर्वी उत्तर प्रदेश में मानसून आएगा और 28 जून तक पूरे प्रदेश में फैल जाएगा। इसी समय उत्तराखंड, हिमाचल और कश्मीर के पूर्वी इलाके भी मानसून की बारिश में भीगेंगे। पश्चिमोत्तर भारत में सबसे आखिरी में मानसून पहुंचेगा। गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर में 25 जून से 2 जुलाई के बीच मानसून का असर देखने को मिलेगा।
किसानों के लिए वरदान बनेगा समय पर मानसून
समय से पहले मानसून की दस्तक किसानों के लिए एक वरदान साबित होगी। इससे कृषि चक्र को गति मिलेगी और फसलों के लिए जरूरी नमी समय रहते उपलब्ध होगी। मानसून की नियमित और अच्छी बारिश से देश के कृषि क्षेत्र में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
पश्चिमी विक्षोभ और चक्रवाती परिसंचरण का असर
मौसम विभाग का कहना है कि पश्चिमी विक्षोभ मध्य और ऊपरी क्षोभमंडलीय पश्चिमी हवाओं में एक द्रोणिका के रूप में सक्रिय है। उत्तराखंड और उसके आसपास के इलाकों में औसत समुद्र तल से 1.5 किमी ऊपर एक ऊपरी हवा का चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है। पूर्वी उत्तर प्रदेश और उससे सटे बिहार के ऊपर एक ऊपरी हवा का चक्रवाती परिसंचरण है, जो दक्षिण ओडिशा तक फैला हुआ है।
इस साल समय पर मानसून की दस्तक से जहां फसलों को लाभ मिलेगा, वहीं देश के ज्यादातर हिस्सों में लोगों को गर्मी से भी राहत मिलने की उम्मीद है।