सूरजपुर जिले के प्रतापपुर तमोर पिंगला अभ्यारण्य क्षेत्र जो कि सरगुजा वनवृत्त के अंतर्गत आता है और एलिफेंट रिजर्व के रूप में भी जाना जाता है, वहां पर वन्यजीवन की सुरक्षा व संरक्षित वन्य क्षेत्र की सुरक्षा के बजाय भ्रष्टाचार और अधिकारियों की निष्क्रियता के कई गंभीर मामले सामने आए हैं। इस अभ्यारण्य क्षेत्र में वर्दीधारी ठेकेदार अपनी ठेकेदारी का साम्राज्य स्थापित कर चुके हैं। वन संरक्षण का दायित्व रखने वाले इन वर्दीधारी अधिकारियों का मुख्य ध्यान अब वन संरक्षण पर कम और ठेकेदारी के काम पर अधिक हो गया है।
वन्य अभ्यारण्य तमोर पिंगला में पानी की सुविधा, सड़क और पुल निर्माण जैसे कार्यों में बड़े पैमाने पर अनियमितता देखने को मिल रही है। इन कार्यों के लिए करोड़ों रुपये का बजट आवंटित हुआ, लेकिन निर्माण गुणवत्ता के नाम पर सिर्फ कागजी आंकड़े पेश किए जा रहे हैं। यहां तक कि बरसात के बाद बड़े बांधों में दरारें आने लगती हैं, जो निर्माण में अनियमितता और भ्रष्टाचार की तरफ इशारा करते हैं।
गौरतलब है कि इस क्षेत्र में पूर्व के कई प्रभारी रेंजर ठेकेदारी के क्षेत्र में मशहूर रहे हैं, जिन्होंने अपने मूल कर्तव्यों को छोड़कर अपने निजी उपकरणों, जैसे जेसीबी मशीनों को दिन – रात निर्माण कार्य में लगा दिया। यह ठेकेदारों का ऐसा जाल है जहां अधिकारी खुद अपने वाहनों का उपयोग कर रहे हैं और बिल भी अपने नाम से ही पास करवा रहे हैं। सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगने पर अधिकारी नियमों का उल्लंघन कर जानकारी देने से बचते हैं, ताकि उनके भ्रष्टाचार का पर्दाफाश न हो सके।
तमोर पिंगला अभ्यारण्य के संरक्षित क्षेत्रों में निर्माण कार्य के दौरान हजारों हरे-भरे पेड़ों की कटाई की जा रही है। जीपीएस कक्ष क्र. 814 में करोड़ों रुपये की लागत से बनाए जा रहे बांध के निर्माण में बेतरतीब पेड़ काटे गए हैं, जो कि वन्यजीवन और पर्यावरण संरक्षण के नियमों का खुला उल्लंघन है। यह स्थिति और भी चौंकाने वाली तब होती है जब यह ज्ञात होता है कि अभ्यारण्य क्षेत्र में एक सूखी लकड़ी को भी शासन की अनुमति के बिना नहीं काटा जा सकता, लेकिन हजारों पेड़ बिना किसी डर के काट दिए गए।
स्थानीय लोगों का कहना है कि तमोर पिंगला अभ्यारण्य के अधिकारी-कर्मचारी मुख्यालय में मौजूद नहीं रहते, जिससे आम जनता को शिकायत दर्ज कराने या मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर नहीं मिलता। यहां तक कि जनता की तरफ से कई बार शिकायतें दर्ज कराई गईं, लेकिन उच्च अधिकारी इस पर कार्रवाई करने के बजाय चुप्पी साधे बैठे हैं। ग्रामीणों ने साफ-साफ चेतावनी दी है कि अब वे इस तरह के भ्रष्टाचार और अनदेखी को बर्दाश्त नहीं करेंगे और आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार हैं।
अभ्यारण्य क्षेत्र में कैम्पा मद से वन्यजीवन के संरक्षण और विकास के लिए 11.49 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई थी। यह राशि क्षेत्र के 57 नालों के विकास और पानी की सुविधाएं जुटाने के लिए दी गई, लेकिन इस फंड में भी जमकर घोटाला हुआ है। सूत्रों के अनुसार, निर्माण कार्यों में भारी भ्रष्टाचार किया गया है, जो जांच का एक गंभीर विषय है।
वर्दी के आड़ में काम कर रहे इन ठेकेदारों ने शासन की तिजोरी पर बड़ा हाथ साफ किया है, और उच्च अधिकारी अपने आंखों पर पट्टी बांधे बैठे हैं। तमोर पिंगला अभ्यारण्य की ग्रामीण जनता अब इस भ्रष्टाचार और अधिकारियों की अनदेखी के खिलाफ आवाज उठा रही है। जनता का मानना है कि अब इन वर्दीधारी ठेकेदारों और भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी है कि उच्चस्तरीय जांच व कार्रवाई नहीं होने पर उच्चन्यायालय की शरण में जाएंगे।
निष्कर्ष
तमोर पिंगला अभ्यारण्य, जो कि वन्यजीव संरक्षण के लिए सुरक्षित घोषित क्षेत्र है, वहां आज भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हो चुकी हैं कि वन्यजीवन का अस्तित्व संकट में आ गया है। जनता की मांग है कि जल्द से जल्द इस क्षेत्र में जारी अनियमितताओं की जांच की जाए और दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाए।