CG Khabar : रायपुर। आज संविधान दिवस के अवसर पर जब हम भारतीय संविधान की महत्ता को याद कर रहे हैं तो यह समझना अत्यंत आवश्यक है कि यह दस्तावेज़ सिर्फ कानूनों का संग्रह नहीं बल्कि भारत के सामाजिक परिवर्तन का वाहक है और देश की आत्मा है। संविधान ने हमें समता, बंधुता और स्वतंत्रता के सिद्धांत दिए, जो हमारे लोकतंत्र की आधारशिला हैं साथ ही संविधान से दलितों की दशा और दिशा बदली है।
संविधान की विशेषताएं:
एक क्रांतिकारी दस्तावेज़
भारतीय संविधान विश्व का सबसे विस्तृत और व्यापक संविधानों में से एक है। इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं:
- मौलिक अधिकार: संविधान ने समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार तथा संवैधानिक उपचारों का अधिकार देकर नागरिकों को सशक्त बनाया।
- राज्य के नीति निदेशक तत्व: ये तत्व सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत प्रस्तुत करते हैं।
- मौलिक कर्तव्य: नागरिकों के कर्तव्यों का उल्लेख कर संविधान ने राष्ट्र के प्रति हमारी जिम्मेदारियों को रेखांकित किया।
- सामाजिक न्याय की संकल्पना: संविधान ने छुआछूत का उन्मूलन, अस्पृश्यता का अंत और सभी वर्गों के उत्थान की व्यवस्था कर समाज में व्याप्त विषमताओं को दूर करने का प्रयास किया।
डॉ. अम्बेडकर का ऐतिहासिक योगदान
संविधान निर्माण में डॉ. भीमराव अम्बेडकर की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण और निर्णायक रही। संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने जो योगदान दिया, वह अविस्मरणीय है:
- सामाजिक न्याय के वास्तुकार: डॉ. अम्बेडकर ने संविधान के माध्यम से सदियों से शोषित और वंचित वर्गों के उत्थान की मजबूत नींव रखी। अनुच्छेद 15 और 17 के माध्यम से धर्म, जाति, लिंग के आधार पर भेदभाव पर प्रतिबंध लगाकर और अस्पृश्यता का उन्मूलन करके उन्होंने सामाजिक क्रांति का सूत्रपात किया।
- मौलिक अधिकारों की स्थापना: उन्होंने मौलिक अधिकारों को संविधान का अभिन्न अंग बनाया, जो नागरिकों की स्वतंत्रता की गारंटी देते हैं।
- केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का सन्तुलन: उन्होंने संघीय ढाँचे की स्थापना करते हुए केन्द्र और राज्यों के बीच शक्तियों का स्पष्ट विभाजन किया।
- लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना: डॉ. अम्बेडकर ने संविधान में लोकतांत्रिक मूल्यों, धर्मनिरपेक्षता और समाजवादी सिद्धांतों को स्थान देकर भारत को एक आधुनिक लोकतंत्र के रूप में स्थापित किया।
- महिला अधिकारों के पक्षधर: उन्होंने महिलाओं को समान अधिकार दिलाने और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति सुधारने पर बल दिया।
संवैधानिक मूल्यों की प्रासंगिकता
आज भारत विश्व मंच पर एक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है, जिसकी नींव में हमारे संविधान के मूल्य निहित हैं। संविधान ने दलितों, पिछड़ों और वंचितों को समाज की मुख्यधारा में लाने का कार्य किया है। शिक्षा का अधिकार, सूचना का अधिकार, शुद्ध हवा और पानी का अधिकार जैसे नए अधिकार इसकी गतिशीलता के प्रमाण हैं।
संविधान दिवस पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम डॉ. अम्बेडकर और अन्य संविधान निर्माताओं के सपनों को साकार करने के लिए कार्य करेंगे। हम संविधान में निहित मूल्यों का पालन करेंगे और एक समृद्ध, समतामूलक और न्यायपूर्ण समाज के निर्माण में सहयोग देंगे।
भारतीय संविधान अमर रहे! डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर अमर रहे! जय हिन्द!
- अधिवक्ता भगवानू नायक मुख्य प्रवक्ता, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे , सामाजिक न्याय कार्यकर्ता










