गत दिनों नई दिल्ली में केन्द्रीय गृह एवम् सहकारिता मंत्री माननीय अमित शाह ने राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 का अनावरण किया । नवीन राष्ट्रीय सहकारिता नीति के केंद्र बिंदु में देश के 140 करोड लोगों,गांव, कृषि ,ग्रामीण महिलाएं ,दलित और आदिवासियों के उत्थान के विषय में विशेष ध्यान दिया गया है ।भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक शशिकांत द्विवेदी ने बताया कि मॉडल सहकारी गांव की शुरुआत नाबार्ड की पहल पर सबसे पहले गांधीनगर में हुई है ,
अब नई सहकारिता नीति के तहत राज्य सहकारी बैंकों के माध्यम से प्रत्येक तहसील में पांच मॉडल सहकारी गांव विकसित करने का प्रयास किया जाएगा।राष्ट्रीय सहकारिता नीति से पर्यटन,सहकार टैक्सी ,इंश्योरेंस और हरित एनर्जी जैसे क्षेत्रों में भी सहकारी समितियां बनाई जाएगी । विशेष कर सहकार टैक्सी और बीमा क्षेत्र में सहकारिता के माध्यम से बहुत कम समय में शानदार शुरुआत की जाएगी।सहकार टैक्सी इसी वर्ष के अंत तक प्रारंभ हो जाएगी, जिससे सीधे ड्राइवर के खाते में मुनाफा की राशि पहुंच जाएगी । प्रदेश संयोजक द्विवेदी ने बताया कि केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह जी के नेतृत्व में वर्ष 2034 तक सहकारी क्षेत्र का देश की जीडीपी में योगदान तीन गुना बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है । साथ ही 50 करोड़ नागरिक जो वर्तमान में सहकारी क्षेत्र के सक्रिय सदस्य नहीं है या सदस्य ही नहीं हैं, उन्हें सहकारी क्षेत्र का सक्रिय सदस्य बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है । नवीन राष्ट्रीय सहकारिता नीति में सहकारी समितियों की संख्या में 30% के वृद्धि का लक्ष्य है ।वर्तमान में 8 लाख 30हजार सहकारी समितियां हैं और इसमें 30% की बढ़ोतरी की जाएगी ।
प्रत्येक पंचायत में कम से कम एक प्राथमिक सहकारी इकाई होगी, चाहे पैक्स,मत्स्य पालन, डेयरी ,बहुउद्देशीय या अन्य प्राथमिक सहकारी समितियां हो सकती हैं। यह सहकार से समृद्धि के विजन को पूरा करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है ।उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का लक्ष्य है कि सन 2027 तक हम विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के तौर पर उभरेंगे ।इसके साथ ही 140 करोड़ नागरिकों के सम विकास की जिम्मेदारी भी भारत की है जो सहकारिता के माध्यम से पूरी होगी।वर्ष 2020 के पहले कुछ लोगों ने सहकारिता को मृत प्राय क्षेत्र घोषित कर दिया था लेकिन आज वही लोग कहते हैं कि सहकारिता क्षेत्र का भी फ्यूचर है ।इसका प्रमुख कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो 4 वर्ष पूर्व नए सहकारिता मंत्रालय के गठन का निर्णय लिया था उसके कारण कोऑपरेटिव सेक्टर हर पैमाने पर कॉरपोरेट क्षेत्र की तरह समानता के आधार पर खड़ा है।
द्विवेदी ने बताया कि नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति का विजन है कि सहकारिता के माध्यम से समृद्धि लाकर 2047 तक विकसित भारत का निर्माण करना है। द्विवेदी ने बताया कि सहकारिता के नए बाइलाज को सभी राज्यों ने बिना किसी भेदभाव के स्वीकार कर लिया है। अब तक 45हज़ार पैक्स बनाने का काम लगभग समाप्त हो चुका है। पैक्स के कंप्यूटरीकरण का काम भी लगभग पूरा हो चुका है ।सहकारिता के प्रशिक्षण के लिए त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय की नींव डालने का काम भी हो चुका है। दुग्ध सहकारिता के माध्यम से श्वेत क्रांति 2.0 आने वाले दिनों में ग्रामीण विकास का बहुत बड़ा स्तंभ बनेगी। इसमें महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का काम प्रमुखता से किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सहकारिता मंत्रालय की बहुत दूरदर्शिता के साथ रचना की है। इसका उद्देश्य समाज के हर वर्ग को आगे बढाना और विकास को सर्वस्पर्शी और सर्व समावेशी बनाना था ।इस प्रकार राष्ट्रीय सहकारिता नीति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सहकार से समृद्धि के विजन को पूरा करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।