राजधानी के डूमरतराई थोक बाजार में सोया और राइसब्रान जैसे खाद्य तेलों की कीमत 135 रुपए हो गई है, वहीं रायपुर शहर के छोटे थोक कारोबारी इसको 140 रुपए में और चिल्हर कारोबारी 145 से 150 रुपए में बेच रहे हैं। दूसरे तेलों के दाम भी 40 से 50 रुपए तक बढ़ गए हैं। जब सरकार ने अक्टूबर में आयात शुल्क में इजाफा किया था, तो कहा गया था कि तेलों की कीमत ज्यादा से ज्यादा 15 रुपए तक बढ़ेगी, लेकिन कीमत में बहुत ज्यादा इजाफा कर दिया गया है। जो साया और राइसब्रान तेल आयात शुल्क बढ़ने से पहले थोक में 90 रुपए और चिल्हर में 100 रुपए था, वह अब 150 रुपए में बेचा जा रहा है।
वही केंद्र सरकार ने बीते माह जब से आयात शुल्क में इजाफा किया है तब से राजधानी रायपुर के थोक से लेकर चिल्हर बाजार में कीमत में आग लग गई है। हालांकि आयात शुल्क बढ़ने के बाद नया माल आने से पहले ही कीमत में इजाफा कर दिया गया था। पहले कीमत में 20 रुपए और फिर तीस रुपए तक इजाफा किया गया। संभावना थी त्योहारी सीजन दीपावली के बाद कीमत कम होगी, लेकिन कीमत कम होने के स्थान पर और ज्यादा हो गई है। थोक कारोबारियों का कहना है कि उत्पादक ही ज्यादा कीमत पर तेल दे रहे हैं तो हम क्या कर सकते हैं।
जानकारों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में बनने वाला राइसब्रान का हरेली तेल का आयात शुल्क से दूर-दूर तक कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन इसके बाद भी मौके का फायदा उठाते हुए कारोबारियों ने इसकी कीमत में भी थोक में 40 रुपए का इजाफा कर दिया है तो यह चिल्हर में 50 रुपए महंगा हो गया है। डूमरतराई में थोक में यह 1620 रुपए में एक पेटी 12 लीटर का पैक मिल रहा है। इसको शहर के थोक कारोबारी 1700 रुपए में बेच रहे हैं। यानी यह तेल भी थोक में 142 रुपए में मिल रहा है। इसको चिल्हर कारोबारी 150 रुपए में बेच रहे हैं। राइसब्रान से सारे ब्रांड महंगे हो गए हैं।
खाद्य तेलों में सबसे ज्यादा बिकने वाले सोया और राइस ब्रान तेल की बात करें तो इसकी कीमत जुलाई में सौ रुपए से कम थी। सोया तेल और राइस ब्रान थोक में 90 रुपए के आस-पास और चिल्हर में 95 से 98 रुपए में बिक रहा था। लेकिन बीते माह त्योहारी सीजन प्रारंभ होने से पहले इसकी कीमत बढ़ाई गई थी। इसके बाद आयात शुल्क के कारण लगातार कीमत में इजाफा किया जा रहा है। इस समय थोक बाजार में सोया तेल में सबसे ज्यादा बिकने वाला कीर्ति गोल्ड पेटी में 1610 रुपए में मिल रहा है, यानी थोक में कीमत 135 रुपए है। वहीं इसको शहर के थोक कारोबारी अपना पांच रुपए का मुनाफा जोड़कर 1680 से 1700 रुपए में बेच रहे हैं। यानी यह थोक में 140 से 142 रुपए में पड़ रहा है। इसको चिल्हर किराना दुकान वाले शहर से ले जाकर चिल्हर में 150 में बेच रहे हैं। पहले चिल्हर में यह 100 रुपए में बिक रहा था। सरसों तेल पहले चिल्हर में 135 से 140 रुपए था, यह अब 180 रुपए हो गया है। फल्ली तेल 200 रुपए है। यह थोक में 180 से 185 रुपए है। थोक कारोबारियों का कहना है कि, उत्पादक कंपनियों ने ही कीमत बढ़ा दी है तो हम क्या करें। ज्यादातर उत्पादक कंपनियों ने दाम में 35 रुपए का इजाफा किया है। ऐसे में थोक कारोबारी अपना मुनाफा लेकर इसको 40 रुपए महंगा किया है। दूसरे नंबर के थोक कारोबारियों ने इसको 45 रुपए महंगा किया है तो चिल्हर कारोबारियों ने इसको 50 रुपए महंगा किया है। अन्य तेलों के दाम भी बढ़े हैं।