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“लाल किला और ताजमहल से भी तीन गुना प्राचीन है रायपुर का बिरंचि नारायण मंदिर ,संरक्षण के लिए धर्म स्तंभ काउंसिल ने उठाई आवाज”

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के ऐतिहासिक ब्रह्मपुरी क्षेत्र वर्तमान में बूढ़ा तालाब के पास में स्थित बिरंचि नारायण मंदिर छत्तीसगढ़ ही नहीं, भारतवर्ष की उन विरल सनातन धरोहरों में से एक है, जिसकी प्राचीनता, स्थापत्य और आध्यात्मिक वैभव अद्वितीय है। ऐतिहासिक तथ्यों और स्थानीय परंपराओं के अनुसार यह मंदिर लगभग 1100 वर्ष पूर्व, 9वीं–10वीं शताब्दी में निर्मित हुआ था — जो कि लाल किला (1638 ई.) और ताजमहल (1632 ई.) से तीन गुना अधिक प्राचीन है।

विरंचि नारायण मंदिर भगवान विष्णु के “बिरंचि नारायण” रूप को समर्पित है, जिसे ‘ब्रह्मा रूपी विष्णु’ के रूप में पूजित किया जाता है।मंदिर में विराजमान भगवान विष्णु का विग्रह अष्टधातु से निर्मित हैं, जो भारत में अत्यंत दुर्लभ हैं और छत्तीसगढ़ में विलुप्तप्राय स्थापत्य परंपरा के साक्ष्य हैं,मंदिर की स्थापत्य शैली प्राक-मध्यकालीन युग की है, जिसकी पुष्टि क्षेत्रीय पुराविदों एवं धर्माचार्यों ने भी की है।

डॉ सौरभ निर्वाणी ने कहा कि इतनी ऐतिहासिक महत्ता होने के बावजूद, यह मंदिर न तो राज्य पुरातत्त्व विभाग की सूची में है, न ही भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) की।
वहीं मंदिर परिसर के चारों ओर अतिक्रमण, असंवेदनशील निर्माण, और उपेक्षा के कारण इसकी मूल संरचना पर क्षरण का संकट गहराता जा रहा है,प्रकाश व्यवस्था, सुरक्षा तंत्र, सूचना पट्ट एवं ऐतिहासिक संदर्भों का अभाव इस धरोहर को दिन-प्रतिदिन गुमनामी की ओर ले जा रहा है.
धर्म, संस्कृति और राष्ट्रधर्म की सेवा में समर्पित संस्था “धर्म स्तंभ काउंसिल” ने रायपुर से एक राष्ट्रीय स्तर की पहल करते हुए सरकार से रितेश साहू एवं डॉ रविन्द्र द्विवेदी ने निम्नलिखित माँगें की हैं:
1. बिरंचि नारायण मंदिर को “राष्ट्रीय महत्व का संरक्षित स्मारक” घोषित किया जाए (ASI द्वारा)
2. छत्तीसगढ़ राज्य पुरातत्त्व विभाग द्वारा तत्काल “राज्य संरक्षित स्मारक” घोषित कर कार्य प्रारंभ किया जाए।
3. 100 मीटर सुरक्षा परिधि घोषित कर अतिक्रमण पर रोक लगे।
4. संरक्षण एवं जीर्णोद्धार हेतु विशेष निधि आवंटित की जाए।
5. मंदिर को धार्मिक पर्यटन व विरासत स्थलों की राष्ट्रीय सूची में सम्मिलित किया जाए।
6. एक स्थायी संरक्षण समिति का गठन हो जिसमें पुरातत्त्वविद, संत समाज, मंदिर समिति एवं प्रशासनिक प्रतिनिधि सम्मिलित हों।

डॉ. सौरभ निर्वाणी ने कहा


“यह मंदिर केवल पत्थरों का ढांचा नहीं, भारत की आत्मा का जीवंत स्तंभ है। जिस देश में ताजमहल को विश्व धरोहर घोषित किया गया, वहां बिरंचि नारायण जैसे अति प्राचीन मंदिर की उपेक्षा अत्यंत पीड़ादायक है। यदि हम आज नहीं जागे, तो हमारी भावी पीढ़ियाँ हमें क्षमा नहीं करेंगी।”
धर्म स्तंभ कौंसिल के डॉ रवीन्द्र द्विवेदी और रितेश साहू ने कहा है कि कल्चुरी राजवंश में निर्मित यह मंदिर छत्तीसगढ़ के लोगो का सदियों से विष्णुभक्ति और आसक्ति का प्रमाण है

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