सनातन धर्म में मकर संक्रांति का विशेष महत्व है। यह पर्व हर साल सूर्य देव के मकर राशि में गोचर करने की तिथि पर मनाया जाता है।14 जनवरी 2025 को साल का सबसे बड़ा गोचर यानी सूर्य का राशि परिवर्तन होने जा रहा है. ज्योतिषीय गणना के अनुसार, सूर्य का यह गोचर मकर राशि में होगा जिसके कारण इसे मकर संक्रांति कहा जाता है. इस दिन सूर्य देव सुबह 8 बजकर 41 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश कर जाएंगे, जहां ये अगले एक महीने तक मौजूद रहेंगे.
मकर संक्रांति 2025 स्नान-दान मुहूर्त–
मकर संक्रांति का पुण्यकाल 14 जनवरी को सुबह 9 बजकर 3 मिनट से शुरू होगा जबकि समाप्त शाम 5 बजकर 46 मिनट पर होगा। मकर संक्रांति का महापुण्यकाल 14 जनवरी को सुबह 9 बजकर 3 मिनट से सुबह 10 बजकर 4 मिनट तक रहेगा। वहीं 14 जनवरी को ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5 बजकर 27 मिनट से 6 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। अमृत काल का शुभ मुहूर्त सुबह में 7 बजकर 55 मिनट से 9 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। मकर संक्रांति के दिन स्नान-दान के लिए पूरा दिन शुभ और अति उत्तम माना जाता है।
मकर संक्रांति–
बता दें कि मकर संक्रांति को उत्तरायण, खिचड़ी, पोंगल और बिहू के नाम से भी जाना जाता है। पूरे देश में यह पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। उत्तर भारत में मकर संक्रांति को खिचड़ी नाम से जाना जाता है और इस दिन घर-घर में खिचड़ी बनाई जाती है। वहीं बिहार में मकर संक्रांति के मौके पर दही-चूड़ा खाने की परंपरा है। मकर संक्रांति के दिन तिल जरूर खाना चाहिए।
पूजा विधि–
मकर संक्रांति के दिन सूर्योदय से पूर्व उठें। इस समय सूर्य देव को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। अपने घर की साफ-सफाई करें। साथ ही गंगाजल छिड़ककर घर को शुद्ध करें। दैनिक कामों से निपटने के बाद सुविधा होने पर गंगा या पवित्र नदी में स्नान करें। सुविधा न होने पर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। अब आचमन कर स्वयं को शुद्ध करें और पीले रंग के कपड़े पहनें। इसके बाद सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें और अंजलि में तिल लेकर बहती जलधारा में प्रवाहित करें। अब पंचोपचार कर विधि-विधान से सूर्य देव की पूजा करें। पूजा के समय सूर्य चालीसा का पाठ करें। अंत में आरती कर पूजा का समापन करें। पूजा के बाद अन्न का दान दें। साधक अपने पितरों का तर्पण एवं पिंडदान कर सकते हैं।