रायपुर; आज की भागदौड़ भरी दुनिया में तनाव, अवसाद, चिंता और असुरक्षा की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है तब समाज के बदलते परिवेश में हर व्यक्ति को आत्मरक्षा का ख्याल रखना चाहिए। इस दिशा में कराते आपका बेहतरीन साथी हो सकता है। कराते से आत्मरक्षा के अलावा आत्मविश्वास, आत्मसंयम एवं उत्तम चरित्र निर्माण की भावना भी जागृत होती हैं। कराते से सेल्फ डिफेंस के साथ ही शारीरिक एवं मानसिक फिटनेस,साहस, एकाग्रता के गुणों का भी विकास होता है। उक्त उद्गार व्यक्त करते हुए मार्शल आर्ट कराते स्कूल के प्रशिक्षक डॉ मन्नूलाल चेलक ब्लैक बेल्ट 3 डॉन, पीएचडी (मार्शल आर्ट, जूडो, कराते , किक बॉक्सिंग व पायजन टच) ने बताया कि सन् 1995 से छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों के स्कूलों में छात्र – छात्राओं को विशेष प्रशिक्षण शिविर एवं नियमित क्लास के माध्यम से आत्मरक्षा के लिए कराते का प्रशिक्षण दे रहे हैं।

डॉ मन्नूलाल चेलक ने बताया कि धमतरी,कुरूद,छाती, डाही, चारामा, कांकेर, नगरी, सिहावा, रायपुर, दोंदेकला, दोंदेखुर्द, सारागांव,जरौदा, चंदखुरी, खरोरा में कराते का प्रशिक्षण दिए हैं। उनके द्वारा अब तक लगभग 11,973 विद्यार्थियों, महिलाओं, पुरूषों को कराते प्रशिक्षण देकर आत्मरक्षा के तकनीक से प्रशिक्षित किए हैं। यह पूछे जाने पर कि पायजन टच क्या है? इस पर उन्होंने कहा कि यह प्राचीन भारतीय लड़ाकू व घातक युद्ध कला है। इसे वर्मम (नाड़ी विद्या) या कल्लरी पय्यूट के नाम से जाना जाता है। इसके लिए शरीर के एनाटॉमी के बारे में पूरा ज्ञान होना आवश्यक है। इसमें 108 प्वाइंट होते हैं, जिसमें 12 प्रमुख और 96 छिपे हुए रहते हैं। इसका प्रशिक्षण हम जनहित में देते हैं ताकि इसकी जानकारी रखने वाला किसी की जान बचा सके। यह एक रक्षात्मक कला है, इसका प्रशिक्षण सिर्फ उन्हीं लोगों को दिया जाता है जिसमें काफी परिपक्वता आ गयी हो। हम लड़ना नहीं उपचार सीखना चाहते हैं। उन्होंने इच्छा व्यक्त करते हुए कहा कि इसे जन मानस तक पहुंचाने की इच्छा है।

रायपुर जिला धरसीवां विकास खंड के ग्राम दोंदेकला निवासी डॉ मन्नूलाल चेलक कराते को गांव -गांव व जन- जन तक पहुंचा कर आत्मरक्षा के लिए जो अलख जगाई है, उसकी मिसाल अनूठी ही है। क्षेत्र में लोग उन्हें कराटे मास्टर के नाम से जाने पहचाने जाते हैं। विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक संस्थाओं के द्वारा निरंतर उनको सम्मानित व विभूषित किया जाता आ रहा है। कराते के अलावा साहित्य में भी उनका योगदान है और आज कराते प्रशिक्षण के साथ साथ वे राष्ट्रीय मासिक पत्रिका धरोहर हमारे गौरव के प्रधान संपादक का दायित्व का बखूबी निर्वहन कर रहे हैं।
डॉ मन्नूलाल चेलक ने कहा कि किसी भी उम्र में कोई भी महिला, पुरुष बच्चे, बूढ़े कराते का प्रशिक्षण ले सकते हैं। विशेषकर बेटियों को तो कराते का प्रशिक्षण अनिवार्य रूप से लेना चाहिए, जिससे वे अपनी रक्षा करने में सक्षम हो। कराते एक प्रकार से योग ही है, जिसमें योग के साथ साथ आत्मरक्षा के तकनीक से प्रशिक्षित कराया जाता है। कराते प्रशिक्षण से तनाव से राहत, रक्तचाप नियंत्रण, श्वसन क्रिया सुधार, इम्यूनिटी बूस्ट और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में अत्यंत उपयोगी है। कराते में आत्मरक्षा के साथ ही स्वास्थ्य जीवन की कल्पना की जा सकती है। इससे स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन की प्राप्ति होती है। कराते स्वास्थ्य , संतुलन और आत्मसाक्षात्कार के लिए एक सार्वभौमिक समाधान है। शरीर को रोगमुक्त रखने, मानसिक विकारों को नियंत्रित करने और ऊर्जा के संतुलन को बनाए रखने के लिए कराते जितना सफल है उतना ही गहन भी। यह प्राचीन ज्ञान आज भी वैज्ञानिक युग में आत्मरक्षा के लिए उतना ही भरोसे मंद है।