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भगवान की भक्ति प्राप्त करना ही मानव जीवन का लक्ष्य है -न्यायमूर्ति शर्मा

श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ क्या है? यह बात बहुत दिनों तक समझ में नहीं आया! सोचा कि यहां तो भक्ति की बातें की जाती है फिर ज्ञान यज्ञ क्यों कहते हैं? किंतु यहां आकर अब समझ में आया कि ज्ञान मार्ग से ही भक्ति आती है। भगवान की भक्ति प्राप्त करना ही मानव जीवन का परम लक्ष्य है! यह बातें पूर्व लोकायुक्त, न्यायमूर्ति टी पी शर्मा जी ने राम मंदिर परिसर, माझाखोल, पिहरीद में आयोजित श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ में श्रोताओं को संबोधित करते हुए अभिव्यक्त किया। उन्होंने कहा कि – पापी जीव को भगवान के समीप लाने का कार्य भागवत महापुराण करती है‌।

परम पूज्य महाराज और इस परिवार का आभारी हूं जिसने मुझे इस कार्यक्रम में उपस्थित होने का सौभाग्य प्रदान किया। इसके पूर्व उन्होंने व्यास पीठ पर विराजित आचार्य दिनेश दुबे जी से साल फल भेंट करके आशीर्वाद प्राप्त किया। उल्लेखनीय है कि राम मंदिर परिसर में आयोजित इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए शर्मा जी अपने सहयोगी अनिल शर्मा एवं अशोक तिवारी जी के साथ उपस्थित हुए थे। उन्होंने यहां पहुंचने के पूर्व शिवरीनारायण में भगवान शिवरीनारायण जी का दर्शन पूजन किया तदुपरांत महामंडलेश्वर राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज के साथ कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। कथा श्रवण करने के लिए चांपा जगन्नाथ मठ के महंत श्रीलाल दास जी महाराज, मारुति धाम से संत गोपाल दास जी महाराज, जितेंद्र बहादुर सिंह, शैल त्रिवेदी, बृजभूषण द्विवेदी, पुनीराम केसरवानी सहित अनेक गणमान्य नागरिक गण सम्मिलित हो चुके हैं। कथा में आयोजक श्री अयोध्या प्रसाद त्रिवेदी, विश्वनाथ त्रिवेदी, सुखराम दास जी, कमलेश सिंह, गोपाल शर्मा,गुलेश्वर तिवारी, अशोक जलतारे, देव कुमार पांडे, सुशील कुमार साहू, पुरेंद्र सोनी, मीडिया प्रभारी निर्मल दास वैष्णव, हर्ष दुबे सहित अनेक गणमान्य नागरिक गण उपस्थित थे। 18 अक्टूबर को कथा का विश्राम दिवस है।

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