रायपुर, छत्तीसगढ़, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने कहा भानुप्रतापपुर के मयाना ग्राम निवासी, बस्तर के वरिष्ठ आदिवासी नेता एवं सर्व आदिवासी समाज के पात्रों स्व. श्री जीवन ठाकुर जी की न्यायिक हिरासत में हुई मृत्यु अत्यंत गंभीर और चिंताजनक विषय है। आज मैंने उनके दशगात्र कार्यक्रम में उपस्थित होकर श्रद्धांजलि अर्पित की और शोकाकुल परिवार से मुलाकात की।
उन्होंने कहा स्व. जीवन ठाकुर जी कोई सामान्य व्यक्ति नहीं थे। वे जनपद अध्यक्ष रह चुके थे और बस्तर के आदिवासी समाज की एक प्रभावशाली आवाज़ थे। वे गंभीर मधुमेह से पीड़ित थे और उन्हें प्रतिदिन दो बार इंसुलिन की आवश्यकता थी। इसके बावजूद उन्हें कांकेर जिला जेल से रायपुर केंद्रीय जेल स्थानांतरित किया गया, वह भी बिना संबंधित न्यायालय और उनके परिवार को सूचित किए। यह तथ्य अपने आप में कई गंभीर सवाल खड़े करता है। जब उनकी स्वास्थ्य स्थिति बिगड़ रही थी, तब उन्हें तत्काल डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल, रायपुर, रेफर क्यों नहीं किया गया। प्रथम दृष्टया यह मामला केवल प्रशासनिक लापरवाही का नहीं, बल्कि एक सुनियोजित साज़िश का आभास देता है, जिसमें पहले उन्हें झूठे एवं मनगढ़ंत मामलों में फँसाया गया और बाद में उचित चिकित्सा सुविधा से वंचित रखकर उनकी स्थिति को जानबूझकर बिगड़ने दिया गया।
उन्होंने कहा माननीय सर्वोच्च न्यायालय के स्पष्ट निर्देश हैं कि न्यायिक हिरासत में किसी भी अंडरट्रायल कैदी की मृत्यु होने पर न्यायिक जांच अनिवार्य है। यह सरकार के विवेक पर निर्भर विषय नहीं है। इसके बावजूद, स्व. जीवन ठाकुर जी की मृत्यु के मामले में अब तक किसी भी प्रकार की न्यायिक जांच प्रारंभ नहीं की गई है, जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और चिंताजनक है।
मैं राज्य सरकार से स्पष्ट रूप से मांग करता हूँ कि इस प्रकरण की समयबद्ध जांच किसी बैठे हुए उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से कराई जाए, स्व. जीवन ठाकुर जी के परिवार को ₹1 करोड़ का मुआवज़ा प्रदान किया जाए, तथा नेता प्रतिपक्ष इस गंभीर मुद्दे को विधानसभा के चालू शीतकालीन सत्र में उठाकर सरकार से ठोस और स्पष्ट जवाब सुनिश्चित करें। न्याय केवल होना ही नहीं चाहिए, बल्कि जनता को यह स्पष्ट रूप से दिखाई भी देना चाहिए।










