CG Khabar : रायपुर। सामाजिक न्याय कार्यकर्ता अधिवक्ता भगवानू नायक ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय द्वारा राज्य भर के मुक्तिधामों (शवदाह गृह) की बदहाल स्थिति पर दिए गए ऐतिहासिक निर्देशों एवं टिप्पणियों का स्वागत किया है।
उन्होंने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा यह स्पष्ट करना कि “गरिमापूर्ण अंतिम संस्कार संविधान के तहत जीने के अधिकार का हिस्सा है”, मानवीय दृष्टिकोण है। यह निर्णय मृतक के प्रति सम्मान एवं जीवित परिवारजनों की गरिमा को अनुच्छेद 21 के तहत संवैधानिक अधिकार प्रदान करता है।
नायक ने कहा कि राजधानी रायपुर सहित प्रदेश के अधिकांश मुक्तिधाम बुनियादी सुविधाओं जैसे स्वच्छ पानी, बिजली, शौचालय, शेड, उचित बाउंड्री एवं पहुंच मार्ग से वंचित हैं। इस संदर्भ में, हाईकोर्ट के चीफ़ जस्टिस माननीय श्री रमेश कुमार सिन्हा द्वारा बिलासपुर जिले के बिल्हा क्षेत्र के अंतर्गत रहँगी मुक्तिधाम की अव्यवस्था देखकर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई प्रारंभ करना न्यायपालिका की संवेदनशीलता, सक्रियता एवं जनहित के प्रति प्रतिबद्धता का उत्कृष्ट उदाहरण है।
हाईकोर्ट द्वारा सभी जिला कलेक्टरों से रिपोर्ट मंगवाना, मुख्य सचिव को अनुपालन रिपोर्ट की निगरानी का निर्देश देना तथा बिलासपुर नगर निगम आयुक्त को शपथ पत्र दाखिल करने के आदेश निश्चित रूप से इस दिशा में ठोस एवं प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे।
नायक ने उम्मीद जताई कि हाईकोर्ट के दिशा-निर्देश पर सरकार तेज़ी से ज़मीनी स्तर पर क्रियान्वित करेगी। इससे प्रदेश के सभी मुक्तिधाम मानवीय गरिमा के अनुरूप स्थल बन सकेंगे।
उन्होंने कहा कि यह मामला केवल भौतिक सुविधाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकार के मूलभूत सिद्धांतों से जुड़ा हुआ है। इस ऐतिहासिक न्यायिक हस्तक्षेप के लिए वे छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के माननीय न्यायाधीशों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं।










