सुक्ष्म, लघु, और मध्यम उद्योग यानी (एम एस एम ई ) को देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है समय समय पर दुनियाभर मे विपरीत स्तिथि के दौर मे भी भारत मे स्थितियां नियंत्रण मे रही देश गंभीर आर्थिक संकट मे नहीं घिरा इसका कारण हमारे सुक्ष्म, लघु, और मध्यम उद्योग रहे है
देश को हमेशा गंभीर आर्थिक संकट से बचाने वाला सुक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग आज खुद संकट मे है और सरकार उचित कदम उठाने के बजाय उनकी बदहाली का कारण बन रही हसरकार ने 2023 मे संसद मे यह जानकारी दीं की बीते तीन सालो के दौरान करीब बीस हज़ार सुक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग या तो बंद हो गए है या उनका काम बंद हो गया है अकेले अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक तेरह हज़ार दो सौ नब्बे एमएसएमई बंद हो गए एक साल मे इतने बड़े पैमाने पर छोटी औद्योगिक इकाइयों का बंद होना बहुत बड़ी चिंता का विषय है
छत्तीसगढ़ ऐसे गिने चुने राज्य मे आता है जहाँ उद्योग की अपार संभावना है खनिज सम्पदा से भरा, पावर हब एवं उद्योग के लिए अवश्य सभी मानक पर खरा उतरता है हमारा छत्तीसगढ़इसके बावजूद आवश्यक कदम उठाने की बजाय इस विपरीत स्तिथि मे छत्तीसगढ़ मे जोउद्यमी उद्योग उत्तपादान चालू करने के लिए संघर्ष कर रहे है उन्हें छत्तीसगढ़ शासन वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के अंतर्गत आने वाली छत्तीसगढ़ स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमि. (csidc) के अधिकारी भू-निरस्तीकरण का आदेश भेज रहे है उनकी मदद करना तो दूर उनको मानसिक प्रताड़ना दे रहे है नोट बंदी, कोरोना महामारी की आर्थिक और मानसिक मार के बावजूद अपनी हिम्मत जुटकर आवंटित भूखंड मे अपनी खून पसीने की कमाई का पैसा लगाकर अपने उद्योग का लगभग 30-90% तक का काम पूरा कर उत्पादन चालू करने या जल्द चालू करने की स्तिथि मे पहुंच चुके अनुभवहिन् उधमी का भविष्य एवं निवेश अंधकार मे पहुंच गया है रोज़गार देनेवाले खुद बहुत ज्यादा आर्थिक और मानसिक पीड़ा से गुजर रहे है और यह भी प्रमाणित करता है की सरकार की अवहेलना इतने भारी संख्या मे औद्योगिक इकाई के बंद होने का बड़ा कारण है।