रायपुर, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रदेश अध्यक्ष श्री अमित जोगी ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक को पत्र लिखकर छत्तीसगढ़ के इतिहास के सबसे बड़े वित्तीय घोटाले की जांच की मांग की है। यह घोटाला 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक की सार्वजनिक संपत्ति से जुड़ा है।
इस घोटाले में नागरनार स्टील प्लांट की 26,000 करोड़ रुपये की संपत्ति, बैलाडिला लौह अयस्क खदानों का 85,000 करोड़ रुपये का मूल्य और भविष्य के राजस्व की 40,000 करोड़ रुपये की हानि शामिल है, जिसका कुल अनुमानित घोटाला 1.5 लाख करोड़ रुपये बैठता है।
प्रमुख आरोपों में प्रधानमंत्री के 3 अक्टूबर 2023 के सार्वजनिक वादे और एनएमडीसी की 29 अक्टूबर 2025 की रिपोर्ट के बीच गंभीर विसंगति शामिल है। जहां प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक रूप से “प्लांट का निजीकरण नहीं होगा” का वादा किया था, वहीं एनएमडीसी की रिपोर्ट में “विनिवेश जारी” की पुष्टि की गई है।
घोटाले की समयरेखा के अनुसार 29 अक्टूबर 2025 को एनएमडीसी ने नागरनार स्टील प्लांट के 90% शेयर निजी कंपनी को बेचने की मंजूरी दी। इसके बाद 1 नवंबर 2025 को पर्यावरण मंत्रालय ने किरंदुल-अनकापल्ली स्लरी पाइपलाइन को मंजूरी दी। 7 नवंबर 2025 को इस्पात मंत्रालय ने इसी पाइपलाइन को अंतिम मंजूरी प्रदान की। 9 नवंबर 2025 को जारी गजट अधिसूचना में सुकमा, दंतेवाड़ा, मलकानगिरी और विशाखापत्तनम जिलों में भूमि अधिग्रहण को मंजूरी दी गई।
वित्तीय अनियमितताओं में 120 करोड़ रुपये का कोयला आयात घोटाला शामिल है, जिसमें एक गैर-मौजूद अमेरिकी कंपनी से अनुबंध किया गया, जबकि छत्तीसगढ़ में पर्याप्त कोयला भंडार उपलब्ध है। वित्तीय हेराफेरी के तहत पहली तिमाही अप्रैल-जून 2025 में 26 करोड़ रुपये का लाभ दिखाया गया, जबकि दूसरी तिमाही जुलाई-सितंबर 2025 में घाटा दर्ज किया गया।
यह घोटाला भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988, धन शोधन निवारण अधिनियम 2014 और पेसा कानून 1996 का स्पष्ट उल्लंघन प्रतीत होता है।
जोगी ने सीबीआई से 1.5 लाख करोड़ रुपये के इस घोटाले की तत्काल जांच की मांग की है। उन्होंने निजीकरण के सभी प्रस्तावों की तत्काल वापसी, एनएमडीसी स्टील के सीएमडी से सार्वजनिक माफी और नागरनार प्लांट को स्थायी सार्वजनिक इकाई घोषित करने की कानूनी गारंटी की मांग की है।
जोगी ने स्पष्ट किया कि यह सिर्फ एक वित्तीय घोटाला नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के लोगों के साथ सरकारी स्तर पर किया गया ऐतिहासिक विश्वासघात है। उन्होंने 15-दिवसीय अल्टीमेटम भी जारी किया है कि यदि मांगें नहीं मानी गईं तो जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) राज्यव्यापी जन आंदोलन शुरू करेगी।










