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एसआरयु में  “प्रवासी भारतीय, प्रवास और विकास” पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन

रायपुर, रावतपुरा सरकार विश्वविद्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़ ने “भारतीय प्रवासी, प्रवास और विकास: एक बहुआयामी अन्वेषण” विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार के पहले दिन का सफल उद्घाटन आज किया। यह वेबिनार 28 अगस्त, 2024 से प्रारंभ हुआ और 30 अगस्त तक तीन दिनों तक चलेगा। इस महत्वपूर्ण आयोजन को ऑनलाइन गूगल मीट के माध्यम से आयोजित किया गया, इस तीन दिवसीय वेबिनर को भूगोल विभाग और पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग संयुक्त प्रयास से आयोजित किया गया। 

वेबिनार का उद्घाटन कुलपति प्रो. एस.के. सिंह, रजिस्ट्रार डॉ. सौरभ कुमार शर्मा द्वारा किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ताओं में केएनओएमएडी और आईआईएमएडी के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. एस. इरुदया राजन, और सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ गुजरात, गांधीनगर, गुजरात के प्रवासी अध्ययन केंद्र के अध्यक्ष प्रो. (डॉ.) नरेश कुमार भी शामिल थे। वेबिनार का आयोजन भूगोल विभाग की हेड डॉ. सुनीता सोनवानी और पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के डॉ. संतोष कुमार द्वारा किया गया, जिन्होंने देशभर से विद्वानों, विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं के विविध समूह को एक साथ लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ. संतोष ने विषय प्रवेश कराते हुये बताया कि भारतीय प्रवासी, प्रवास और विकास के विभिन्न आयामों का अध्ययन करते हुए लगभग 100 उच्च गुणवत्ता वाले शोध पत्र प्राप्त हुए हैं, जो इन विषयों की गहन समझ में सहायता करेंगे। इस वेबिनार में लगभग 150 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं।

वेबिनार के मुख्यवक्ता केएनओएमएडी और आईआईएमएडी, केरल के संस्थापक अध्यक्ष; सेंटर फॉर डेवलपमेंट स्टडीज (सीडीएस), केरल के पूर्व प्रोफेसर; और “माइग्रेशन एंड डेवलपमेंट” (टेलर एंड फ्रांसिस) के संस्थापक संपादक-इन-चीफ, प्रो. एस. इरुदया राजन शामिल थे। प्रो. राजन ने अपने मुख्य भाषण में भारतीय प्रवासी के उस व्यापक संभावित क्षेत्र के बारे में बताया, जो अभी तक काफी हद तक अनछुआ है। उन्होंने भारत के विकास के लिए प्रवासी क्षमताओं का बेहतर उपयोग करने के लिए प्रवासी फैलोशिप जैसी योजनाओं की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि भारतीय प्रवासी बहुत व्यापक और प्रभावशाली क्षेत्र है, लेकिन इस समुदाय को और अधिक प्रभावी ढंग से शामिल करने के लिए अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। इस महत्वपूर्ण विषय पर लगातार शोध एवं विमर्श करने की आवश्यकता एवं संभावनाएँ बाकी हैं। प्रो. (डॉ.) नरेश कुमार, सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ गुजरात, गांधीनगर, गुजरात के प्रवासी अध्ययन केंद्र के अध्यक्ष, ने अपने संबोधन में भारतीय प्रवासी और संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के बीच के संबंधों को बताते हुये उन्होंने प्रवास के वैश्विक प्रभावों पर चर्चा की और इस बात को उजागर किया कि विशेष रूप से गुजरात में प्रवासी समुदायों ने स्थानीय और वैश्विक विकास

दोनों पर सकारात्मक प्रभाव डाला है। डॉ. कुमार की अंतर्दृष्टियों ने यह समझने में मदद की, प्रवासन के विभिन्न पैटर्न कैसे व्यापक सतत विकास के लक्ष्यों में योगदान करते हैं।

कुलपति, प्रो. एस.के. सिंह ने भारत के विकास में प्रवासी समुदाय के योगदान का एक गहन अवलोकन प्रस्तुत किया। उन्होंने आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रवासी समुदाय की संभावनाओं को पहचानने और उनका लाभ उठाने के महत्व को रेखांकित किया। रजिस्ट्रार, डॉ. सौरभ कुमार शर्मा ने आगे प्रवासी समुदाय के महत्व पर विस्तार से चर्चा की, और राष्ट्रीय विकास प्रयासों में भारतीय प्रवासी को शामिल करने के लिए एक रणनीतिक दृष्टिकोण की आवश्यकता पर जोर दिया।

इस वेबिनार ने प्रतिभागियों को वैश्विक विकास में भारतीय प्रवासी के विविध योगदानों पर विद्वतापूर्ण चर्चाओं में भाग लेने के लिए एक मंच प्रदान किया। विषयों में प्रवासी समुदायों के सांस्कृतिक संरक्षण के प्रयासों से लेकर रेमिटेंस के आर्थिक प्रभाव तक शामिल थे। चर्चाओं ने प्रवासी के योगदान की बहुआयामी प्रकृति और इस क्षेत्र में निरंतर शोध और भागीदारी की आवश्यकता को रेखांकित किया।

वेबिनार का संचालन अंग्रेजी विभाग से श्रीमती अंजना प्रसाद और डॉ. राशि द्वारा किया गया, और कार्यक्रम का समापन कला संकाय के डीन प्रो. मनीष के. पांडे द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने सभी प्रतिभागियों, वक्ताओं और विश्वविद्यालय के नेतृत्व और वेबिनार को सफल बनाने में उनके समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया। इस महत्वपूर्ण आयोजन के सचिव: डॉ. नरेश गौतम (समाज कार्य विभाग); सचिव: डॉ. अंजली यादव (समाजशास्त्र विभाग), सुश्री मनीषा बोस (समाज कार्य विभाग), डॉ. अवधेश्वरी भगत (इतिहास विभाग); आयोजन समिति के: डॉ. पुष्पा भारती (अर्थशास्त्र विभाग), डॉ. अर्चना तुपट (समाजशास्त्र विभाग), डॉ. चित्रा पांडे (मनोविज्ञान विभाग), डॉ. सुजाता घोष (राजनीति विज्ञान विभाग), डॉ. केवल राम चक्रधारी (योग विभाग),  डॉ. पायल (हिंदी विभाग),  श्रीमती साधना देवांगन (अर्थशास्त्र विभाग), सुश्री सम्प्रीति भट्टाचार्य (मनोविज्ञान विभाग), श्री शिशिर चंद्र छत्तर, श्री निरंजन कुमार (जेएमसी), श्री सचिन दीवान (पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान) आदि भी उपस्थित रहे।

दूसरे सत्र के टेक्निकल सेशन में प्रोफेसर जीतेंद्र कुमार प्रेमी- पंडित रविशंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी और डॉ दिव्या बालन-फ्लेम यूनिवर्सिटी पुणे महाराष्ट्र ने अध्यक्षता की जिसमें प्रतिभागियों ने अपने रिसर्च पेपर में वैश्विक विकास में प्रवासी भारतीय के विविध योगदानों की चर्चा की। प्रतिभागियों ने प्रवासी भारतीय संबंधी शोध और सहभागिता की आवश्यकता पर अपने विचार रखे। वेबिनार में वेबिनार संयोजक भूगोल की विभागाध्यक्ष डॉ. सुनीता सोनवानी, डॉ. नरेश गौतम, डॉ. अंजलि यादव, डॉ. अंजना प्रसाद, डॉ. राशि, डॉ. चित्रा पांडेय, मनीषा बोस सक्रिय रहीं।

यह तीन दिवसीय वेबिनार वैश्विक प्रवासन को आकार देने और विभिन्न क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देने में भारतीय प्रवासी की भूमिका पर महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टियाँ प्रदान करेगा। इसने राष्ट्रीय और वैश्विक विकास प्रयासों में प्रवासी को शामिल करने के लिए एक अधिक रणनीतिक दृष्टिकोण की आवश्यकता को भी उजागर किया। इस आयोजन की विश्वविद्यालय के प्रो-चांसलर श्री हर्ष गौतम द्वारा अत्यधिक सराहना की गई और विश्वविद्यालय के चांसलर अनंत विभूषित श्री रविशंकर जी महाराज द्वारा आशीर्वाद प्राप्त हुआ।

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