bilaspur news। छत्तीसगढ़ के वन विभाग ने अपने एक आदेश को वापस ले लिया है, जिससे अब तोते पालने पर कोई रोक नहीं है। यह आदेश तोते और अन्य पालतू पक्षियों के संबंध में जारी किया गया था, लेकिन अब इसे वापस ले लिया गया है। इस आदेश के वापस लेने के बाद, छत्तीसगढ़ में तोते पालने के शौकीनों को फिलहाल किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
पिछले दिनों छत्तीसगढ़ वन मुख्यालय ने तोता या अन्य पक्षियों को पालने वाले लोगों के लिए आदेश जारी किया। जिसमें उन्हें कहा गया कि तोता या अन्य पक्षियों की खरीदी- बिक्री के साथ पालन करना प्रतिबंधित है।
वह पक्षियों को कैद में नहीं रख सकते।उन्हें सात दिन के भीतर कानन पेंडारी जू में तोते जमा करने के निर्देश दिए। इसके बाद कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई। इस आदेश से तोता पालकों के बीच हड़कंप मच गया। वह कार्रवाई होने से इतना डर गए, जू पहुंचकर तोते को सुपुर्द करने लगे।
तीन से चार दिन के भीतर कानन में 58 तोते जमा हुए। जिन्हें जू प्रबंधन ने क्वारंटाइन में रखा। इन्हें एक- दो दिन के अचानकमार टाइगर रिजर्व छोड़ने की तैयारी थी। हालांकि प्रदेश भर में इस आदेश के बाद खलबली मची थी। कुछ ने विभाग के इस आदेश पर विरोध भी जताया। इसी का असर है कि विभाग ने फिलहाल तोते पालकों के लिए प्रतिबंध का आदेश स्थगित कर दिया है। इस संबंध में मुख्यालय से आदेश भी जारी हो गया है।