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छत्तीसगढ़

कृषि विज्ञान के 50 वर्षों की उपलब्धियों का जश्न मनाया गया

छतीसगढ़ के bilaspur जिले में कृषि विज्ञान केंद्र में 3 सितंबर को स्वर्ण जयंती मशाल यात्रा के रूप में कृषि विज्ञान के 50 वर्षों की उपलब्धियों का जश्न मनाया गया। इस समारोह में कृषि विज्ञान की मशाल को जांजगीर-चांपा के कृषि विज्ञान केंद्र को सौंपा गया, जो इस मशाल यात्रा का अगला पड़ाव बनेगा। मशाल यात्रा की शुरुआत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली से हुई थी,

जो पूरे देश के कृषि विज्ञान केंद्रों से होते हुए गुजर रही है। इसी क्रम में, 29 अगस्त को यह मशाल कृषि विज्ञान केंद्र, भाटापारा से होते हुए बिलासपुर पहुंची थी। समारोह के दौरान, इसे जांजगीर-चांपा के कृषि विज्ञान केंद्र को सौंप दिया गया। कार्यक्रम में जिले के कृषि विभाग के अधिकारियों के लिए एक प्रशिक्षण सत्र और वैज्ञानिक परिचर्चा का भी आयोजन किया गया। इसमें 50 से अधिक अधिकारियों ने भाग लिया। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र,

बिलासपुर के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. अरूण त्रिपाठी ने कृषि विज्ञान केंद्रों के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि किस प्रकार कृषि विज्ञान केंद्रों के प्रयासों से आधुनिक कृषि तकनीकें किसानों के खेतों तक पहुंच रही हैं, जिससे देश खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बन पाया है और किसानों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार हो रहा है। कार्यक्रम में विभिन्न विषयों पर व्याख्यान भी दिए गए।

इनमें डॉ. अमित शुक्ला, हेमकांति बंजारे, डॉ. एकता ताम्रकार, जयंत साहू, इंजी. पंकज मिंज, डॉ. निवेदिता पाठक, डॉ. चंचला रानी पटेल और डॉ. स्वाति शर्मा ने अपने ज्ञान और अनुभव साझा किए। इस आयोजन को सफल बनाने में कृषि विभाग के अधिकारियों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा, जिसमें उपसंचालक कृषि पी.डी. हथेस्वर, सहायक संचालक कृषि अनिल कौशिक और कृषि विज्ञान केंद्र की सुशीला ओहदार का विशेष योगदान रहा। कार्यक्रम का संचालन वैज्ञानिक डॉ. अमित शुक्ला द्वारा किया गया।

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